मां की हिम्मत टूटी तो कहा सब्र कर, बड़े-बड़े लोगों में अब सुमित अंतिल का भी नाम | Sumit Antil Success Story 

By Cricinfo Team 

सुमित अंतिल ने जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए खेल तो अलग चुना था. लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 2015 में एक बड़े हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी. नतीजा, ये हुआ कि उन्हें उसके बाद एक अलग खेल में अपनी कामयाबी की कहानी लिखने का फैसला लेना पड़ा.

7 साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठा

इंडियन एयरफोर्स में कार्यरत सुमित अंतिल के पिता का निधन एक लंबी बीमारी के चलते तभी हो गया था, जब वो सिर्फ 7 साल के थे. कच्ची उम्र में सिर से पिता का साया उठा तो सुमित अंतिल और उनके परिवार के लिए जिंदगी मानों पहाड़ सी हो गई थी. ऐसे में मां ने हिम्मत से काम लिया.

दर्दनाक हादसे के बाद पैर कटा, सपना टूटा

बात तब की है जब सुमित सिर्फ 16 साल के थे और वो 12वीं में पढ़ते थे. ट्यूशन से घर आने के दौरान उनकी बाइक को सीमेंट से लदी एक ट्रैक्टर ट्रॉली ने टक्कर मार दी. इस दर्दनाक हादसे में सुमित को अपना दायां पैर गंवाना पड़ा, जिसके साथ ही उनका रेसलर बनने का सपना भी टूट गया. इस हादसे ने उनकी मां को झकझोर कर रख दिया.

2017 में शुरू हुआ पैरालंपिक चैंपियन बनने का सफर

2015 में ये घटना घटी और 2017 में अपने ही गांव के एक पारा एथलीट रह चुके राजकुमार के कहने पर सुमित ने पारा स्पोर्ट्स में आने का फैसला किया. और, यहीं से शुरू हुआ जैवलिन थ्रो में सुमित अंतिल का पैरालंपिक चैंपियन बनने का सफर.

2019 से कामयाबी को पंख लगने हुए शुरू

2019 में फिर वो लम्हा आया जब वर्ल्ड जैवलिन के सीने पर सुमित अंतिल को अपनी छाप छोड़ने का बड़ा मौका मिला. उन्होंने उस साल हुए इटली में हुए वर्ल्ड पारा एथलीट चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता. इसी साल दुबई में हुए वर्ल्ड पारा एथलीट चैंपियनशिप में भी उन्होंने भारत की चांदी कराई.

देश के किसी बड़े खिलाड़ी से कम नहीं सुमित की कामयाबी

देश के लिए वो अब उतने ही अहम हैं, जितने की कामयाबी का झंडा बुलंद करने वाले दूसरे बड़े खिलाड़ी रहे हैं. हरियाणा के सोनीपत के खेवरा गांव से शुरू हुए सुमित अंतिल के सफर की दास्तान हर किसी के लिए जो बाधाओं को पार कर आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए एक मिसाल है.